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कता राम्रा रत्नद्युतिमय दिशापालसदन कतै घुम्थे साक्षात् कुसुमधनुका साथ मदन।कतै चन्द्रज्योत्स्नाधवल सुरगङ्गानिकटमा तपस्वी देखिन्थे तपशिखर झैं टम्म तटमा।।21।।