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कुनै चाहे नङ्गा भइ फगत दङ्गा गरिरहून् कुनै चाहे चङ्गा भइ गगनगङ्गाबिच बहून्।अँध्यारो स्वप्नाका सुख दुख खुशी भै सब सहू सबै भन्दा भिन्नै भइ फगत हाँसी खुश रहू।।11।।