Tarun Tapsi


कुनै चाहे नङ्गा भइ फगत दङ्गा गरिरहून्

कुनै चाहे चङ्गा भइ गगनगङ्गाबिच बहून्।

अँध्यारो स्वप्नाका सुख दुख खुशी भै सब सहू

सबै भन्दा भिन्नै भइ फगत हाँसी खुश रहू।।11।।