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घडी देखा पर्थ्यो चमचम गरी दीर्घ बिजुली घडी आत्मज्ञानी पुरुष अथवा सिद्ध सकली।घडी पानी पानी सबतिर छताछुल्ल धरणी घडी आगो बल्थ्यो धपधप, घडी वासरमणि।।16।।