Vinod Pushpanjali


कतै छ एकत्व कतै अनेकता

कतै सबै शून्य कतै क्रियात्मता

म सत्य मानूँ कसको विवेचन

तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन

यही सही हो जगको प्रमाण हो

कतै छ एकत्व कतै अनेकता

कतै सबै शून्य कतै क्रियात्मता

विवाद संवाद दुवै विधान हो।।25।।